टिड्डियों के खतरे को समय रहते भांपने की जरूरत

टिड्डियों का खतरा : नई तकनीक इजाद तो करें ही, टिड्डी हमलों से निपटने के लिए निगरानी तंत्र भी दुरुस्त करना होगा।

देश में एक बार फिर टिड्डियों का खतरा मंडरा सकता है। टिड्डियों के झुंड इस वर्ष भी सीमा पास से राजस्थान, गुजरात या पंजाब में ‘घुसपैठ’ कर सकते हैं। टिडी की यह आहट खास तौर से राजस्थान के काश्तकारों के लिए नए खतरे का संकेत है।

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पानी और बिजली के संकट से प्रदेश पहले से ही घिरा हुआ है। ऊपर से टिड्डी का पड़ोसी देश पाकिस्तान तक पहुंचना एक और परेशानी की तरफ इशारा है। इसके लिए सरकार को अभी से अलर्ट मोड में आने की जरूरत है। 

टिड्डियों का खतरा

योंतो टिड्डी दल का हमला नई बात नहीं है। पिछले सालों में जिस तरह से टिड्डियों ने हमारे यहां तबाही मचाई, हम सभी भली-भांति परिचित हैं। थाली, बर्तन ढोल बजाकर या किसी तरह देशी जुगाड़ से शोर पैदा कर किसान अपने दम पर ही टिड्डी दल से जूझकर उन्हें भगाने की असफल कोशिश करते रहे हैं। चिंता की यह खबर इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में टिडी दल ने अण्डे दे दिए हैं। टिड्डी दल को भारत तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता है।

पाकिस्तान इस पर स्थिति को नियंत्रित कर पाएगा, ऐसा लगता नहीं। इस बार इतना सुकून अवश्य है कि टिड्डी ‘सॉलिटरी फॉर्म’ में है। ऐसा तब होता है जब टिड्डी में झुण्ड बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती और वह सामान्य कीड़े की तरह ही अपना पेट भरती है।

इसलिए फिलहाल यह ज्यादा खतरनाक नहीं मानी जा रही। यह कब विकसित होकर झुण्ड में रहने वाला रूप ले ले और झुण्ड के झुण्ड आकर फसलों को चट कर के जाएं, कहा नहीं जा सकता। ऐसे में टिड्डी के खतरे को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

पिछले साल मानसून बहुत ही प्रतिकूल रहा। समय पर बारिश नहीं होने और ऊपर से टिड्डी दल के हमले ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। इस बार बेशुमार गर्मी के चलते पूरा प्रदेश जल संकट का सामना कर रहा है। बारिश की कमी ने फसलों की पैदावार पर भी असर डाला है।

रही-सही कसर बिजली संकट ने पूरी कर दी है। किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिची हुई है। बिजली का संकट दूर नहीं होता, तब तक किसान बुवाई नहीं कर पाएंगे।

किसान उम्मीद लगा रहे हैं कि इस बार मानसून अच्छा रहेगा, लेकिन टिड्डी जैसे खतरों से समयपूर्व नहीं निपटा गया तो किसान कहीं का नहीं रहेगा।

वैसे अब तक यही छवि बनी है कि टिड्डी नियंत्रण महकमा महज चेतावनी जारी करने तक सीमित रहता है। ऐसे में जरूरत है नई तकनीक इजाद करने और तंत्र को दुरुस्त करने की, ताकि भविष्य के टिड्डी हमलों से निपटा जा सके।

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